Tuesday, October 29, 2019

emotion

कागज पर गुदे अक्षर,
हर किसी के हृदय को स्पर्श नहीं कर सकते ।

Sunday, October 27, 2019

वास्तविक सत्य

"समस्याएं रूप और स्थान बदलती है, 
किन्तु नाम नहीं।  


              डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया 'हेमाक्ष '
  

Saturday, October 26, 2019

बावरा मानव



चौराहे पर खड़ी औरों की
 जिंदगी लगे बड़ी मजेदार ।
आए जब खुद की बारी 
तब तू क्यों मु‌ंह‌ लजाए ।। 


देख दुनिया भई वाबरी
फैशन के दौर में ।
न आँखों में शर्म बची
न तन पर लिबास।। 

पैसों की गरमाहट में 
मानव कैसा अकड़ा जाए। 
देश अपना छोड़के 
विदेश में लिया घर बसाए।। 

बूंद बूंद को धरती तरसे
तब तू कैसे जल पाए।
हुआ मानव कैसा बावरा 
खुद ही विनाश किए जाए।।





डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया 
'हेमाक्ष'

Friday, October 25, 2019

जिंदगी का सार

जिंदगी यूंही काटने या बिताने का नाम नहीं 
बल्कि जिंदगी जीने का नाम है।
              डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया

Thursday, October 24, 2019

मन की क्यारी में

मन की क्यारी में 
आज एक सवाल 
कुछ यूँ अंकुरित हुआ, 
था सवाल ये
या कोई मन की कल्पना,
जो धीमी-धीमी गति से
मन के समंदर में 
गोते लगा
कोई बवंडर का 
संकेत दे रहा था
सुलझें फंदों को 
कहीं उलझा रहा था
 मन की क्यारी में 
आज एक सवाल 
कुछ यूँ अंकुरित हुआ...!


    डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया

मनुष्यता - मैथिलीशरण गुप्त

    मनुष्यता                                               -  मैथिलीशरण गुप्त  विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸ मरो परन्तु यों मरो...