मन की क्यारी में
आज एक सवाल
कुछ यूँ अंकुरित हुआ,
था सवाल ये
या कोई मन की कल्पना,
जो धीमी-धीमी गति से
मन के समंदर में
गोते लगा
कोई बवंडर का
संकेत दे रहा था
सुलझें फंदों को
कहीं उलझा रहा था
मन की क्यारी में
आज एक सवाल
कुछ यूँ अंकुरित हुआ...!
डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया