‘लालच का फल बुरा होता है’, इस उक्ति का विचार पल्लवन कीजिए ।
‘लालच का फल
बुरा होता है’ यह उक्ति शत प्रतिशत सत्य है। इस बात को चाहकर भी झुठलाया या नकारा
नहीं जा सकता है। मानव-जीवन में कामनाओं और लालसाओं का एक अटूट सिलसिला चलता ही
रहता है। सबकुछ प्राप्त होने के बावजूद कुछ और पाने की लालसा से मनुष्य मृत्युपर्यंत मुक्त नहीं हो पाता।
अधिकांश को धन की लालसा होती है। लालसा भी इस बात की कि वह जीवन को सुखपूर्वक
भोगे। मनुष्य अपनी लालसाओं को पूर्ण करने हेतु गलत रास्तों को अपना लेते हैं, परंतु वे इसके दुष्परिणाम से अवगत नहीं होते हैं । चोरी, धोखा-धड़ी आदि गलत तरीकों से प्राप्त किए गए सुख अथवा धन की आयु लंबी
नहीं होती। लालच में किए गए छोटे-बड़े अपराध की सजा तो भुगतनी ही पड़ती है। इससे
रिश्तों में खटास उत्पन्न हो जाती है तथा अपनों के समक्ष निंदा का पात्र बनआजीवन
शर्मिंदगी उठानी पड़ती है । अक्सर देखा गया है कि कष्टों से जीवन व्यतीत करने वाला
निर्धन भी अपनी दीन-हीन स्थिति में अपने परिवार समेत संतुष्ट और सुखी रहता है वहीं
धनकुबेर तथा सारे ऐश्वर्य को भोगने वाला धनी व्यक्ति अंतःकरण में भयभीत, असंतुष्ट और दुःखी रहता है।
इसलिए मन -मस्तिष्क से लालच जैसी अहितकारी प्रवृत्ति को निकाल देना चाहिए तथा ईमानदारी के मार्ग का आचरण कर जितना है उतने में निर्वाह करने का प्रयास करना चाहिए ।
very informative
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