Monday, November 25, 2019

today's thought







संसार की कोई भी भाषा छोटी या बड़ी नहीं होती,
बल्कि बड़े  या छोटे तो मनुष्य के विचार होते हैं।
  
           डॉ. पूजा हेमकुमार अलापुरिया 

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मनुष्यता - मैथिलीशरण गुप्त

    मनुष्यता                                               -  मैथिलीशरण गुप्त  विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸ मरो परन्तु यों मरो...