भाषा (भाग -2)
लिपि (script)
किसी भी भाषा को लिखने के लिए जिस ढंग को अपनाया जाता है, उसे लिपि कहते हैं I आरम्भ में मनुष्य बोलकर अपने विचारों को दूसरों के समक्ष प्रकट करता था I विचारों को स्थायी रूप देने हेतु उसने चित्रों को माध्यम बनाया I चित्रों द्वारा विचारों के आदान-प्रदान करने से चित्रलिपि का निर्माण हुआ I फिर मुख से उच्चारित ध्वनि संकेतों को सुरक्षित रखने हेतु कुछ चिह्नों का प्रयोग किया I ध्वनि पर आधारित इन्हीं चिह्नों को ‘लिपि’ कहते हैं I
· हिंदी की जननी संस्कृत भाषा है I देवनागरी
का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है I देवनागरी को नागरी लिपि भी कहा जाता है I
विश्व की मुख्य लिपियाँ इसप्रकार है :
भाषा
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लिपि
|
भाषा
|
लिपि
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संस्कृत
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देवनागरी
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मलयालम
|
शलाका
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हिंदी
|
देवनागरी
|
पंजाबी
|
गुरुमुखी
|
नेपाली
|
देवनागरी
|
कन्नड़
|
कन्नड़
|
गुजरती
|
देवनागरी
|
इंग्लिश
|
रोमन
|
मराठी
|
देवनागरी
|
फ्रेंच
|
रोमन
|
बांग्ला
|
बंगाली
|
स्पेनिश
|
रोमन
|
तमिल
|
तमिल
|
जर्मन
|
रोमन
|
असमिया
|
ब्राह्मी
|
अरबी
|
अरबी
|
उर्दू
|
अरबी और फ़ारसी मिश्रित
|
चीनी
|
चित्रलिपि
|
Ø भारतीय संविधान
की आठवीं अनुसूची के अनुसार निम्नलिखित 22 भाषाओँ को मान्यता प्रदान की गई है :
भाषा
|
राज्य / देश
|
भाषा
|
राज्य / देश
|
सिंधी
|
कश्मीर
|
मराठी
|
महाराष्ट्र
|
हिंदी
|
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली
|
संस्कृत
|
प्राचीन भारत
|
डोगरी
|
हिमाचल
|
कश्मीरी
|
कश्मीर
|
संथाली
|
झारखंड (संथाल परगना)
|
उर्दू
|
उत्तर प्रदेश
|
मैथिली
|
बिहार
|
कन्नड़
|
कर्नाटक
|
बोडो
|
असम
|
गुजराती
|
गुजरात
|
असमिया
|
असम
|
बांग्ला
|
पश्चिम बंगाल
|
तमिल
|
तमिलनाडु
|
तेलुगु
|
आंध्रप्रदेश
|
पंजाबी
|
पंजाब
|
उड़िया
|
उड़ीसा
|
मणिपुरी
|
मणिपुर
|
मलयालम
|
केरल
|
कोंकणी
|
गोवा
|
नेपाली
|
नेपाल
|
व्याकरण
जिस शास्त्र के माध्यम से हमें भाषा के शुद्ध रूप का बोध होता है,
उसे व्याकरण कहते हैं I व्याकरण शब्दों वि+आ+करण
के योग से बना
है, जिसका अर्थ है पूरी तरह से समझना I
व्याकरण के द्वारा
हमें भाषा के नियमों की जानकारी मिलती है
और इस जानकारी से हम भाषा को शुद्ध बोलना,
पढ़ना और लिखना सीखते हैं I
व्याकरण के घटक
व्याकरण के मुख्य
चार घटक हैं :
(1)
वर्ण विचार – वर्ण विचार में अक्षर के आकर, भेद, उच्चारण,
वर्गीकरण, लिखने की विधि आदि के विषय में विचार किया जाता है I
(2)
शब्द विचार – वर्णों के योग से शब्द बनते हैं I शब्द विचार में
शब्दों के भेद, उत्पत्ति, रूप आदि विषय पर विचार किया जाता है I
(3) पद विचार – इसके अंतर्गत विकारी (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया), अविकारी (क्रिया विशेषण, संबंधसूचक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक) पदों के स्वरूप एवं प्रयोग पर विचार किया जाता है I इसमें दो या अधिक पद मिलकर एक ही शाब्दिक इकाई (विकारी, अविकारी) का काम करते हैं, उसे पदबंध कहते है I
(4)
वाक्य विचार – इसके अंतर्गत वाक्यों की रचना तथा अलग करने की
रीति, अंग, भेद, वाक्य विश्लेषण, विराम-चिह्न, वाक्य के उपविभागों आदि पर विचार
किया जाता है I
साहित्य
साहित्य
– साहित्य शब्द स+हित के योग से बना है, जिसका अर्थ होता है सहभाव अर्थात हित का
साथ होना I
ज्ञान के संचित कोश को साहित्य कहते हैं I विद्वानों ने अपने ज्ञान को संचित
कर जन-जन में प्रेरणा जागृत करने का प्रयास किया I साहित्य के दो वर्ग होते हैं –
गद्य और पद्य I
·
गद्य के अंतर्गत
– कहानी, उपन्यास, निबंध, यात्रा वृत्तान्त, संस्मरण, पात्र-लेखन,
नाटक आदि आते हैं I
· पद्य में
अंतर्गत – कविता, पद, तुकांत, दोहा, चौपाई,
सोरठा, छंद, कुंडलियाँ, हाइकु आदि आते हैं I
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डॉ. पूजा हेमकुमार
अलापुरिया
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